नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के लिए वह घड़ी आखिरकार आ ही गई, जो उसे एक नए दौर में ले जाएगी। शरद पवार(Sharad Pawar) ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर दिया है। इससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया है कि अगला अध्यक्ष कौन होगा(Who Next President of NCP) ।
पवार की बेटी सुप्रिया सुले या पवार के भतीजे अजित पवार? जहां तक अजित पवार के पास लंबा राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव वह है। वह प्रदेश के डिप्टी सीएम रह चुके हैं। हालांकि मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके पास नहीं आ सकी। पार्टी के भीतर उनकी अच्छी पकड़ है और गाहेबगाहे वह इसे जाहिर भी करते रहते हैं। एक बार वह देवेंद्र फडनवीस की कुछ घंटों की सरकार में उप मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले चुके हैं। हालांकि तुरंत ही उन्होंने वापसी का रास्ता पकड़ लिया। पार्टी या पवार परिवार से नाता तोड़ लेने का कदम उन्होंने अब तक नहीं उठाया है।
TOI प्लस में सुजाता आनंदन लिखती हैं कि अजित का करियर शरद पवार के सपोर्ट से ही आगे बढ़ता आया है। पिछले 30 वर्षों में शरद पवार ने अजित को राजनीति की गलियों में बढ़ने का सलीका सिखाया, पार्टी और सरकारों में उनकी जगह बनाई। यही वजह है कि एनसीपी में नंबर 2 की पोजिशन पर अजित पवार को देखा जाता है।
हालांकि अजित का दुर्भाग्य यह है कि वह शरद पवार के भतीजे तो हैं, लेकिन कभी भी उन्हें इस तरह नहीं देखा गया कि शरद पवार उन्हें बहुत पसंद करते हैं। मामला इतना भर रहा है कि पवार परिवार की अगली पीढ़ी के लोगों में अजित राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा सक्रिय और महत्वाकांक्षी रहे हैं। पवार फैमिली में रोहित पवार और सुप्रिया सुले से उनकी होड़ चलती रही है।
एनसीपी के अधिकतर लोग अजित पवार के साथ डील करना बेहतर मानते हैं, भले ही वह थोड़े कड़े मिजाज वाले हों। इसकी वजह यह है कि शरद पवार का लहजा भले ही नरम और मेल-मिलाप वाला है, लेकिन वह अपनी बात पर कितनी देर टिकेंगे, यह कोई नहीं जानता। ऐसे में सवाल उठता है कि जब अजित पवार के साथ डील करना आसान है तो फिर एनसीपी कार्यकर्ता खुलकर उनका साथ क्यों नहीं देते? इसकी वजह यह है कि अजित का चुनावी असर शरद पवार जैसा नहीं है। अजित पवार वोटरों को लुभाने के मामले में शरद पवार के सामने कहीं नहीं ठहरते। एक कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनावी संसाधन के मामले में अजित को अब अपने चाचा के सहारे की जरूरत नहीं है, लेकिन ‘रुपये-पैसे के मामले में वह भले ही मजबूत हों, वोट बैंक के मामले में वह कमजोर हैं।’