सिल्क रूट के रास्ते व्यापार तो होता ही था, उसी ज़रिये से एक नया धर्म भी आ गया। लिंक्ज़िया को सिल्क रूट का वैकल्पिक रास्ता मानते थे, तो वहां भी अरब से व्यापारी पहुंचे। एक नई संस्कृति आई, धर्म आया। समय के साथ ये लोग चीनी समाज में पूरी तरह रच-बस गए, लेकिन चीनी इन्हें कभी अपने में से एक नहीं मान पाए।
2015 के पहले तक चीनी दमन के निशाने पर उइगर मुस्लिम थे। सरकारी सोच थी कि उइगर बगावती हैं और देश के ख़िलाफ़ साजिश रच रहे। पार्टी के प्रोपेगेंडा ने आम लोगों के मन में भी यही बात बैठा दी। यही वजह है उइगरों को शिनजियांग प्रांत के बाहर फैलने ही नहीं दिया गया। कह सकते हैं कि चीन का यह इलाक़ा दुनिया की सबसे बड़ी जेल है, जहां रहने वाले हर मुस्लिम की कड़ी निगरानी की जाती है। चीनी कला-संस्कृति समझने और ज्ञान हासिल करने के नाम पर उन्हें भेज दिया जाता है डिटेंशन सेंटर में।
इसके उलट हुई समुदाय पूरे चीन में फैला हुआ है और अभी तक उन पर ज़्यादा पाबंदियां भी नहीं थीं। हुई लोगों ने भरसक प्रयास किया है कि उनकी बोलचाल, रहन-सहन और पहनावा बहुसंख्यक हान जैसा रहे।
लेकिन, इतनी प्रतिबद्धता दिखाने के बावजूद हुई समुदाय ख़ुद को बचा नहीं पाया और अब माना जा रहा है कि उसे जो थोड़ी धार्मिक सहूलियतें मिली थीं, उन्हें भी ख़त्म कर दिया जाएगा।
शी ने जिस चीनी इस्लाम की बात कही है,सबसे पहले तो धार्मिक स्थलों पर नियंत्रण। नई मस्जिद बनाने या कोई नया निर्माण करने के पहले सरकारी अनुमति लेनी होती है, जो कि मिलती नहीं। शी सरकार चाहती है कि मस्जिद देखने में मस्जिद जैसी ना हो यानी उन पर गुंबद ना बने हों, मीनारें ना हों। मस्जिदों को अरबी के बजाय चीनी वास्तुकला के हिसाब से ढालने को कहा गया है।
मस्जिद के भीतर या बाहर, कहीं भी अरबी में कोई आयत या कोई शब्द लिखने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। लिंक्ज़िया में तो मीट की दुकानों पर अरबी में हलाला शब्द लिखने तक पर प्रतिबंध है। सरकार का कहना है कि यह भाषा विदेशी है। लोगों को अपनी देसी ज़ुबान में बात करनी चाहिए।
ज़्यादातर मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा लिए गए हैं। जहां लगे भी हैं, तो बहुत धीमी आवाज़ वाले। हर मस्जिद पर पार्टी का झंडा फहराना अनिवार्य है। सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों को किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियों में शामिल ना किया जाए।
मुस्लिम घरों में अगर कुरान है, तो उन्हें साथ में पार्टी से जुड़ा साहित्य भी रखना होगा। मस्जिदों के भीतर भी ऐसी किताबें रखवाई गई हैं, जिनमें चीनी महानता का बढ़-चढ़कर बखान है।