कुछ संशोधनों के साथ इसे बरकरार रखना चाहिए । सुप्रीम कोर्ट ने अंग्रेजों के समय बनाए गए इस कानून को स्थगित करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए को रीएग्जामिन करने का आदेश दिया था। इसी के तहत विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए इसे और सख्त बनाने का सुझाव दिया है। तो क्या देशद्रोह कानून से ही बचेगा भारत? इस पर बात करते हैं।
क्या प्रमुख बातें हैं लॉ कमिशन की सिफारिश में?
लॉ कमिशन की जो रिपोर्ट आई है, इसको अगर हम सरसरी तौर पर देखते हैं तो इसमें कई सारी सिफारिश की गई है। सबसे हम बात कही गई है कि इस कानून में बदलाव की तो जरूरत है, पर इस कानून को बरकरार रखा जाए। यह सबसे हम बात है। लॉ कमिशन ने कहा है कि इस कानून को खत्म करने से देश की सुरक्षा और अखंडता पर असर होगा। और इस कानून को लेकर काफी दिनों से बहस चल रही थी और संसद में, संसद के बाहर और कोर्ट में भी। लेकिन अब लॉ कमिशन ने रिपोर्ट दी है कि इस कानून को बरकरार रखने की जरूरत है और उसके लिए कई सारी सिफारिशें की हैं।
#BREAKING Law Commission of India says Sedition offence (Section 124A) of the Indian Penal Code should be retained with certain amendments.
Commission recommends amendments to the section to bring more clarity.#Sedition pic.twitter.com/xtzj272JDB
— Live Law (@LiveLawIndia) June 2, 2023
जैसा कि लॉ कमिशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 154 में बदलाव करने की जरूरत है ताकि इसके दुरुपयोग को रोका जा सके। इसके लिए सीधे एफआईआर दर्ज न करके प्रारंभिक जांच की जाए और कम से कम इंस्पेक्टर लेवल का अधिकारी मामले की जांच करे और लगता है कि एफआईआर दर्ज करना है तो राज्य सरकार या केंद्र सरकार इजाजत दे तभी एफआईआर दर्ज हो।
साथ ही लॉ कमिशन आगे अपनी सिफारिश में यह भी कहता है कि देश की एकता और अखंडता के लिए इस कानून को बरकरार रखना जरूरी है। और देश में जो चुनी हुई सरकार है, उसको एंटी नैशनल एलिमेंट द्वारा हिंसा और अन्य तरह से अस्थिर करने की जो कोशिश की जाती है उसको रोकने के लिए ये एक माकूल कानून है और चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने वाली गतिविधि होती है, उसको रोकने के लिए 124 ए एक्ट का इस्तेमाल किया जाता है और ये बिलकुल ठीक है। और ये भी कहा गया है कि जो UAPA कानून है, अनलॉफुल एक्टिविटी के लिए, जो टेरर एक्ट को रोकता है। साथ नैशनल सिक्योरिटी एक्ट है, वो प्रिवेंटिव कानून है। लेकिन उन दोनों कानून का जो दायरा है, वो सीमित है।