Rise of Crime in Pakistan: भारत सहित पड़ोसी मुल्कों में आतंक और अपराध परोसने वाला पाकिस्तान अब ख़ुद इसकी आग में जल रहा है। 9 मई को पूर्व पीएम इमरान खान (Imran Khan) की गिरफ्तारी और उसके बाद कोर्ट से रिहाई के बीच मुल्क की सड़कें हिंसा, विरोध-प्रदर्शन और आगजनी का अड्डा बन गईं।
इस आंतरिक संघर्ष से लड़ रहे पाकिस्तान के लिए अराजकता इतनी बड़ी मुसीबत बन गई है कि उसे ना तो सरकार संभाल पा रही है और ना ही सेना। राजधानी इस्लामाबाद अपराध की राजधानी में बदलती नज़र आ रही है।
इमरान खान के आरोपों का सामना कर रही पाकिस्तान सरकार और सेना के लिए राजनीतिक विरोधियों से बड़ी मुसीबत अपराधी बन गए हैं। जिस राजधानी में सरकार का सबसे बड़ा सुरक्षा अमला है, विरोध-प्रदर्शनों को दबाने के लिए जहां पूरी मशीनरी लगी है, वहां अपराध के आंकड़ों ने सरकार को घुटनों पर ला दिया है। इसका शिकार हो रही जनता का आक्रोश फूट रहा है। आंतरिक संघर्ष की आग में घी का काम कर रहा है भूख और भ्रष्टाचार।
आटे के लिए लड़ाई के दौरान पाकिस्तान में पाँच और व्यक्तियों की मौत। आटे का भाव 160 रुपये के पार। पाँच लोगो के परिवार में बस एक के खाने लायक़ मिल रहा है आटा।#पाकिस्तान_भूखा_नंगा_बेहाल pic.twitter.com/94SWKYSkHT
— रितेश सिंह राष्ट्रवादी 🇮🇳 (@RiteshS20599262) January 9, 2023
इस्लामाबाद में अप्रैल में लूट, डकैती, छिनैती जैसी घटनाएं महंगाई दर की तरह बढ़ी हैं और शहर कभी अपराध की राजधानी कहे जाने वाले ‘शिकागो’ की तरह जलने लगा है। ऐसा कोई बाहरी नहीं कह रहा। ख़ुद पाकिस्तान पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी में हर मिनट करीब 3900 रुपये और हर घंटे 2.30 लाख रुपये अपराधियों ने जनता से लूटे हैं। यानी हर दिन करीब 55 लाख रुपये की लूट पाकिस्तान की राजधानी में हुई है। अप्रैल में करीब एक हज़ार मुकदमे पुलिस ने लूट, डकैती और चोरी के दर्ज किए हैं। इसमें अकेले 276 मामले डकैती के हैं।
Alhamdulillah
The Islamabad High Court has extended the order to stop Imran Khan from being arrested in any further case till May 31.!!#عمران_ریاض_کی_جان_کو_خطرہ pic.twitter.com/TQuZnAH7HT
— Hamdan (@Hamdan_khan_) May 17, 2023
अराजकता का आलम यह है कि लोग इस्लामाबाद की सड़कों पर निकलने से डर रहे हैं। पिछले महीने सड़कों पर ही लूट के 226 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए। लोगों का दावा है कि बहुत से मामलों में पुलिस कार्रवाई ही नहीं कर रही, क्योंकि वह विरोध-प्रदर्शनों को दबाने में ही उलझी हुई है। अपराधी सड़क के साथ ही इंडस्ट्रियल एरिया को ख़ास तौर पर निशाना बना रहे हैं। डकैती की 40 फ़ीसदी से अधिक वारदातें इसी एरिया में हुई हैं। दुकानों में चोरी के भी केस तेज़ी से बढ़े हैं।
इस्लामाबाद सहित पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में लूट, डकैती जैसे अपराध अचानक यूं ही नहीं बढ़े। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह पाकिस्तान की तबाह हो रही अर्थव्यवस्था और बढ़ती भुखमरी को माना जा रहा है। अप्रैल महीने में पड़ोसी मुल्क में महंगाई दर करीब 37 फ़ीसदी पहुंच चुकी है। इसके चलते अकेले खाने की चीज़ों के दाम शहरी क्षेत्रों में 47 प्रतिशत और ग्रामीण इलाक़ों में 52 प्रतिशत बढ़े हैं। हालात इतने ख़राब हो चुके हैं कि रोजमर्रा के खाने की चीज़ों के लाले हैं और पाकिस्तान को उन्हें आयात करना पड़ रहा है। आटा तक सरकारी सेंटरों से बंट रहा है। मांग ज़्यादा है और वितरण इतना कम कि कई जगहों पर सरकारी सेंटर ही लूट लिए गए हैं। इस बदतर हालात में लोगों ने लूटमार और छिनैती का रास्ता अपनाना शुरू कर दिया है।
पाकिस्तान के आर्थिक हालत का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि इमरान की गिरफ्तारी से उपजी अराजकता के बाद पाकिस्तानी रुपया और गिरा है। एक डॉलर के लिए 300 से ज़्यादा रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं पड़ोसी मुल्क को।
ऊपर से, पाकिस्तान का कुल रिजर्व एक महीने के आयात का भी खर्च उठा ले तो यह बड़ी बात होगी। सरकार को होने वाली कुल कमाई का 52 फ़ीसदी से अधिक हिस्सा घरेलू कर्ज़ का ब्याज़ ही चुकाने में चला जा रहा है। ऐसे में जनता को बुनियादी सुविधाएं देने के लिए खर्च करना तो ख्वाब जैसा ही है। जुलाई से मार्च के बीच सरकार ने 3.58 ट्रिलियन रुपये केवल कर्ज़ चुकाने में खर्च किए हैं। आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप होने के कगार पर हैं। टेक्सटाइल एक्सपोर्ट में भारी गिरावट आई है। तेल के दामों में लगी आग ने पेट्रोल-डीजल का आयात भी 25 प्रतिशत से अधिक घटा दिया है।
नकदी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की उम्मीदें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6.5 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज पर टिकी हैं। ख़ास बात यह है कि आईएमएफ के साथ इस डील पर पाकिस्तान की बातचीत एक साल से भी अधिक समय से चल रही है। कभी शर्तें पूरी ना कर पाने, तो कभी आंतरिक हालात के चलते इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा पा रहा।