पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में बुधवार को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा आयोजित एक जनजातीय एकजुटता मार्च के दौरान हिंसक झड़पें हुईं। मार्च मणिपुर उच्च न्यायालय के राज्य के मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने के निर्देश के विरोध में था। मणिपुर में सबसे बड़े समुदाय मेइती ने तर्क दिया था कि 1949 में भारत के साथ मणिपुर की रियासत के विलय के बाद उन्होंने अपनी आदिवासी पहचान खो दी थी।
हिंसा और परिणाम:
हिंसा पहले चुराचांदपुर जिले में भड़की और बाद में राज्य के अन्य हिस्सों में फैल गई। अधिकारियों के अनुसार, झड़पों के दौरान कई लोगों की जान चली गई और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। जवाब में, मणिपुर सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया। केंद्र स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है और आसपास के राज्यों से अर्धसैनिक बल जुटाए जा रहे हैं। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी कुलदीप सिंह को मणिपुर सरकार ने सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है।
लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत, डिफेंस पीआरओ गुवाहाटी के अनुसार, लगभग 4,000 लोगों को सेना और असम राइफल्स कंपनी ऑपरेटिंग बेस और राज्य सरकार के परिसर में आश्रय दिया गया है। बचाव कार्यों के माध्यम से 7,500 से अधिक नागरिकों को निकाला गया है।
हाई कोर्ट के आदेश का विरोध:
एसटी दर्जे की मांग मेइती समुदाय की पहचान, भाषा, संस्कृति और पैतृक भूमि को “संरक्षित” करने की आवश्यकता से उठी। हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं के मामले पर विचार कर चार सप्ताह के भीतर अपनी सिफारिश प्रस्तुत करे। हालाँकि, आदिवासी समूह मुख्य रूप से दो कारणों से इस आदेश का विरोध कर रहे हैं। सबसे पहले, वे तर्क देते हैं कि जनसंख्या और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में मेइती का प्रभुत्व है। दूसरा, मैतेई भाषा पहले से ही संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है, और समुदाय के वर्गों को अनुसूचित जाति (एससी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत वर्गीकृत किया गया है, जिससे उन्हें संबंधित अवसरों तक पहुंच मिलती है।
सेना और सुरक्षा तैनाती:
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारतीय सेना, असम राइफल्स, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और रैपिड एक्शन फोर्स को तैनात किया गया है। सेना और असम राइफल्स ने प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया है। हिंसा के बाद राज्य सरकार ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया था।
अंत में, मणिपुर में हिंसा से जान-माल का नुकसान हुआ है, जिसके कारण सेना और अन्य सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। आदिवासी एकजुटता मार्च मणिपुर उच्च न्यायालय के एसटी वर्ग में मेइती समुदाय को शामिल करने के निर्देश की प्रतिक्रिया थी, जिसे समुदाय के प्रभुत्व और भाषाई और सामाजिक-आर्थिक विशेषाधिकारों का हवाला देते हुए आदिवासी समूहों के विरोध का सामना करना पड़ा है। स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, सरकार अशांति को नियंत्रित करने के लिए उपाय कर रही है।
उपशीर्षक:
- आदिवासी एकजुटता मार्च की पृष्ठभूमि और मेइती समुदाय की एसटी वर्ग की मांग
- हिंसा और परिणाम: हताहत, निकासी, और सरकार की प्रतिक्रिया
- हाई कोर्ट के आदेश और आदिवासी समूहों के स्टैंड का विरोध
- स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना और सुरक्षा तैनाती