जब भी श्रीमद्भगवत गीता का नाम आता है तो सभी लोगों के दिमाग में एक ही महाकाव्य आता है, “महाभारत” जिसे महर्षि वेदव्यास ने लिखा था।
महाभारत को जय संहिता, षट सहस्त्र संहिता जैसे कई अन्य नामों से भी पुकारा जाता है।
महाकाव्य महाभारत में, जब अर्जुन युद्ध के मैदान में संदेह में थे, तो उनके सारथी और मित्र श्री कृष्ण ने उन्हें रास्ता दिखाया, जो कि श्लोक के रूप में वर्णित है, जिसे श्रीमद्भागवत गीता कहा जाता है।
भगवद गीता को योगशास्त्र भी कहा जाता है क्योंकि इसमें कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग की भी चर्चा है
भगवत गीता विद्यार्थी की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इसमें से निष्काम कर्म की अवधारणा निकलती है।
निःस्वार्थ कर्म को जीवन में उतारना बहुत जरूरी है। तो हम कह सकते हैं कि एनसीईआरटी की किताबों में श्लोक करना सही होगा लेकिन इसे धर्म विशेष से जोड़कर पढ़ाना सही नहीं होगा।