लिंक्ज़िया को खिताब हासिल है ‘चीन के मिनी मक्का’ का। मुस्लिम समुदाय ‘हुई’ (Hui ethnic group) का यह शहर कई मस्जिदों का भी घर है। किसी भी दूसरे चीनी शहर से ज़्यादा मस्जिद हैं यहां और बाकी जगहों से ज़्यादा आज़ाद भी, लेकिन कब तक?
स्थानीय लोगों ने कुछ साल पहले ही ख़ुद से रकम जोड़कर मीनार और गुंबद का निर्माण कराया था, लेकिन 2020 में एक अदालत ने फैसला दिया कि नया कंस्ट्रक्शन अवैध है। तभी से मुस्लिम समुदाय और स्थानीय प्रशासन के बीच जोर-आजमाइश चल रही थी।
इसी तरह का विरोध-प्रदर्शन पिछले साल हुआ था निंग्ज़िया हुई रीजन में। यह क्षेत्र भी हुई समुदाय की अधिक आबादी वाला है। तब एक पूरी मस्जिद को ही ढहाने का सरकारी फरमान आया था। प्रशासन का कहना था कि प्लानिंग कमिशन से इजाज़त नहीं ली गई निर्माण के पहले। हज़ारों लोग तब मस्जिद को घेरकर खड़े हो गए थे। इसके बाद चीनी प्रशासन ने बीच का हल यह निकाला कि गुंबदों को तोड़ दिया गया।
इस तरह की घटनाओं को गिनने बैठिए तो जिस यूनान प्रांत में नागू है, उसी में करीब पांच साल पहले तीन मस्जिदों पर ताला जड़ दिया गया था। लिंक्ज़िया में कई मस्जिदों का स्वरूप बदला गया है, इतना कि अब उन्हें पहचानना भी मुश्किल है। इसी तरह, जहां-जहां मुस्लिम आबादी बसी है, वहां-वहां हर तरह के धार्मिक चिह्नों को हटा दिया गया है या हटाया जा रहा है।
चीन की कोशिश है इस्लाम के चीनीकरण की। साल 2015 में राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi Jinping) ने इसकी अपील की थी। हालांकि उसके पहले भी धार्मिक आज़ादी ना के बराबर थी चीन में, ख़ासकर मुस्लिमों और ईसाइयों को, लेकिन शी के इच्छा जाहिर करने के बाद तो फंदा और भी कस गया है।